महामारी के कारण लाखों बच्चे शायद दोबारा स्कूल न लौट पाएं- अभी मदद करें

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Rang De India Education: इस अभियान का मकसद है कि बच्चों को स्कूलों से ड्रॉपआउट होने से बचाया जा सके और उनकी पढ़ाई कोविड-19 की मुश्किलों के बावजूद पहले की तरह जारी रहे.

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि कोरोना की महामारी के कारण दुनिया भर में 2.4 करोड़ से ज्यादा बच्चों के स्कूलों से ड्ऱॉपआउट हो जाने का खतरा है. भारत में भी ऐसा हो सकता है कि गरीब परिवारों के तमाम बच्चे दोबारा स्कूल नहीं लौट पाएं. शिक्षा क्षेत्र में इस बढ़ते संकट से निपटने के लिए Rang De ने NDTV के साथ हाथ मिलाया है, ताकि कम आय वाले परिवारों को कम ब्याज पर लोन मुहैया कराया जा सके. इस अभियान का मकसद है कि बच्चों को स्कूलों से ड्रॉपआउट होने से बचाया जा सके और उनकी पढ़ाई कोविड-19 की मुश्किलों के बावजूद पहले की तरह जारी रहे.

महामारी ने सभी के जीवन को प्रभावित किया है, खासकर समाज के सबसे कमजोर वर्ग को. शिक्षकों को भी वेतन में कटौती का सामना करना पड़ा है. बहुत से अभिभावक रोजगार गंवाने के कारण स्कूल की फीस दे पाने में समर्थ नहीं हैं. कम आय वाले परिवारों के लिए चुनौतियां और ज्यादा बढ़ी हैं. ऑनलाइन कक्षाओं के कारण हजारों बच्चों को गैजेट के लिए जूझना पड़ रहा है. डिजिटल क्षेत्र में बढ़ती असमानता (digital divide) अब और ज्यादा बढ़ गई है, इसके कारण तमाम बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है. रंग दे इंडिया फॉर एजुकेशन अभियान (The campaign Rang De India For Education) कम आय वाले परिवारों के युवा छात्रों को कम ब्याज पर कर्ज उपलब्ध कराने की उम्मीद करता है, ताकि उनके बच्चे स्कूल लौट सकें. इन जरूरतों को ऋण के जरिये पूरा किया जा सकता है, हालांकि यह सिर्फ इसी तक सीमित नहीं है… ‘आजीविका सिर्फ परिवारों की स्थिति पर ध्यान देती है. जबकि शिक्षा एक गेम चेंजर की तरह है और यह पूरी पीढ़ी को गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाल सकती है. अभियान की अहमियत और उद्देश्य पर स्मिता राम ने कहा, यह वास्तव में भविष्य की पीढ़ी के लिए है, लिहाजा हम शिक्षा पर फोकस कर रहे हैं.’

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